University of Delhi
NAAC Grade A++ with CGPA 3.71 NIRF Rank # 12 (Amongst Colleges) हंसराज महाविद्यालय का गाँधी अध्ययन केंद्र, दिल्ली विश्वविद्यालय के गांधी भवन से संबद्ध एक महत्वपूर्ण समिति है। यह गाँधी के दर्शन, चिंतन एवं उनके बताए मार्ग के प्रचार-प्रसार की दृष्टि से समय-समय पर विविध रचनात्मक एवं वैचारिक कार्यक्रमों की योजना कर उसका आयोजन करता है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को गांधी और उनकी विचारधारा से अवगत कराना तथा अपने जीवन में उसे आत्मसात करना है। संगोष्ठी, वाद-विवाद, परिचर्चाएं, स्वच्छता अभियान आदि विविध माध्यमों से समय-समय पर अलग-अलग विद्वान्-विशेषज्ञों के वक्तव्य आदि का आयोजन का गाँधी मार्ग की विशेषताओं, प्रासंगिकताओं एवं उसके विविध आयामों से विद्यार्थियों को परिचित कराना भी केंद्र का अभीष्ट है।
विद्यार्थियों में गाँधी द्वारा शिक्षा, स्वरोजगार, स्वावलंबन, ग्राम समाज, रचनात्मक कार्य आदि के सम्बन्ध में दिए गए विविध विचार सूत्रों की व्यापक विवेचना और विश्लेषण के माध्यम से उसके वास्तविक अर्थ और अभिप्राय से विद्यार्थियों को परिचित कराना और उनके व्यक्तित्व एवं व्यवहार में सत्य, अहिंसा, दया, परोपकार आदि मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा और उसका उन्नयन करना भी केंद्र के लक्ष्यों में शामिल है।
‘वर्तमान चुनौतियाँ और गाँधी’ विषय पर वेब संगोष्ठी
गाँधी अध्ययन केंद्र, हंसराज कॉलेज द्वारा 20 फरवरी 2021 को ‘वर्तमान चुनौतियाँ और गाँधी’ विषय पर वेब संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में गाँधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ गांधीवादी विचारक कुमार प्रशांत ने वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक परिप्रेक्ष्य को सामने रखते हुए उसके हवाले से भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर गाँधी की प्रासंगकिता और उनके विचारों की उपयोगिता के व्यापक आयामों को सामने रखा। उन्होंने प्रकृति से छेड़छाड़ और उसके परिणामों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए प्रकृति केंद्रित विकास की जरुरत पर बल दिया।
सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिन्तक अरविंद मोहन ने कहा कि आज गाँधी की सभी बातों को जीवन में लागू करने की स्थिति भले ही नहीं लगती हो लेकिन वास्तविकता यही है कि गाँधी दर्शन से अलग और कोई दर्शन नहीं है जो आज की चुनौतियों से निबटने में हमारी उस हद तक मदद करने में सक्षम हो जिस हद तक गाँधी दर्शन है।
इस अवसर पर हंसराज कॉलेज की प्राचार्या प्रो. रमा ने कहा कि हमारी समस्या यही है कि हम गाँधी को तो मानते हैं किन्तु गाँधी की नहीं मानते हैं। गाँधी के विचारों को अपनाकर ही गाँधी को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है और वर्तमान समय की विभिन्न चुनौतियों से पार पाया जा सकता है।
संगोष्ठी में अलग अलग महाविद्यालयों के लगभग सौ विद्यार्थियों के अतिरिक्त अनेक शोधार्थियों और शिक्षकों ने भी भाग लिया। संगोष्ठी का संचालन हंसराज कॉलेज के गाँधी अध्ययन केंद्र के समन्वयक डॉ. विजय कुमार मिश्र ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन छात्र संयोजक शैलेन्द्र गुप्ता ने किया।